शुक्रवार, 26 सितंबर 2025





 

वर्ल्ड अपडेट्स:अमेरिका- FBI के पूर्व डायरेक्टर जेम्स कोमी के खिलाफ केस दर्ज; झूठा बयान देने का आरोप



अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआई के पूर्व निदेशक जेम्स कोमी के खिलाफ झूठा बयान देने और न्याय में बाधा डालने का आपराधिक मामला दर्ज किया गया है।

आरोप यह है कि कोमी ने 30 सितम्बर 2020 को सीनेट समिति के सामने गवाही के दौरान झूठ बोला था। कोमी कहा था कि उन्होंने कभी किसी पत्रकार को रूस की जांच से जुड़ी जानकारी देने के लिए गुमनाम सोर्स के तौर पर अपॉइन्ट नहीं किया। अभियोजकों का कहना है कि यह बयान सबूत के विपरीत था।

यह कदम ऐसे समय पर उठाया गया है जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में खुले मंच से अपने अटॉर्नी जनरल पाम बॉन्डी से कोमी और अन्य राजनीतिक विरोधियों पर कार्रवाई करने की मांग की थी।

कोमी और ट्रम्प का टकराव पुराना है। मई 2017 में ट्रम्प ने उन्हें एफबीआई डायरेक्टर पद से हटा दिया था। इसके बाद विशेष वकील रॉबर्ट मुलर ने इस बर्खास्तगी की जांच न्याय में बाधा डालने (Obstruction of Justice) के संभावित मामले के तौर पर की थी।



गुरुवार, 18 सितंबर 2025

 

एअर इंडिया प्लेन क्रैश: पीड़ित परिजनों ने बोइंग और हनीवेल के खिलाफ US में किया केस, क्या हैं आरोप?

    एअर इंडिया विमान दुर्घटना में मारे गए चार यात्रियों के परिजनों ने बोइंग और हनीवेल के खिलाफ लापरवाही का मुकदमा दायर किया है। परिजनों ने इस दुर्घटना के लिए कंपनी के दोषपूर्ण ईंधन कटऑफ स्विच को जिम्मेदार ठहराया है। 12 जून को उड़ान भरने के तुरंत बाद एअर इंडिया का विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था जिसमें 260 लोगों की जान चली गई थी।


एअर इंडिया प्लेन क्रैश: बोइंग और हनीवेल पर मुकदमा (फाइल)

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। एअर इंडिया प्लेन क्रैश में मारे गए चार यात्रियों के परिजनों ने बोइंग और हनीवेल के खिलाफ मुकदमा दायर किया है। परिजनों ने इस दुर्घटना के लिए कंपनी की वापरवाही और दोषपूर्ण ईंधन कटऑफ स्विच को जिम्मेदार ठहराया है। 12 जून को अहमदाबाद से लंदन जाते समय उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद एअर इंडिया का विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसमें 260 लोगों की मौत हुई थी।

डेलावेयर सुपीरियर कोर्ट में मंगलवार को दायर एक शिकायत में, पीड़ित परिजनों ने कहा कि बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर पर स्विच का लॉकिंग मैकेनिज्म अनजाने में बंद हो सकता है या गायब हो सकता है, जिससे ईंधन की आपूर्ति में कमी और टेकऑफ के लिए आवश्यक थ्रस्ट में कमी आ सकती है।

KKK

उन्होंने कहा कि बोइंग और हनीवेल, जिन्होंने स्विच को स्थापित और निर्मित किया था, इस जोखिम के बारे में जानते थे, खासकर जब अमेरिकी संघीय उड्डयन प्रशासन ने 2018 में कई बोइंग विमानों पर लॉकिंग मैकेनिज्म के बंद होने के बारे में चेतावनी दी थी।

हादसे को रोकने के लिए हनीवेल और बोइंग ने क्या किया?

शिकायत में कहा गया है कि स्विच को सीधे थ्रस्ट लीवर के पीछे लगाकर, "बोइंग ने प्रभावी रूप से यह सुनिश्चित किया कि सामान्य कॉकपिट गतिविधि के परिणामस्वरूप अनजाने में ईंधन कटऑफ हो सकता है। इस आपदा को रोकने के लिए हनीवेल और बोइंग ने क्या किया? कुछ भी नहीं।"

अर्लिंग्टन, वर्जीनिया स्थित बोइंग ने बुधवार को कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उत्तरी कैरोलिना के शार्लोट स्थित हनीवेल ने टिप्पणी के अनुरोधों का तुरंत जवाब नहीं दिया। दोनों कंपनियां डेलावेयर में निगमित हैं। यह मुकदमा अमेरिका में इस दुर्घटना को लेकर दायर किया गया पहला मुकदमा है।

229 यात्रियों सहित 260 लोगों की मौत

परिजनों ने शिकायत में कांताबेन धीरूभाई पघदल, नाव्या चिराग पघदल, कुबेरभाई पटेल और बेबीबेन पटेल की मृत्यु के लिए हर्जाना मांगा है, जो मरने वाले 229 यात्रियों में शामिल थे। इस दुर्घटना में 12 चालक दल के सदस्य और जमीन पर मौजूद 19 लोग भी मारे गए। एक यात्री बच गया।

हादसे के मुख्य कारकों तक नहीं पहुंची एजेंसियां

भारतीय, ब्रिटिश और अमेरिकी जांचकर्ताओं ने दुर्घटना के कारण का निर्णायक रूप से पता नहीं लगाया है। जुलाई में भारत के विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो की एक प्रारंभिक रिपोर्ट में दुर्घटना से पहले कॉकपिट में भ्रम की स्थिति का चित्रण किया गया था। जुलाई में ही, अमेरिकी संघीय विमानन प्रशासन (FAA) के प्रशासक ब्रायन बेडफोर्ड ने उच्च स्तर का विश्वास व्यक्त किया कि यांत्रिक समस्या या ईंधन नियंत्रण घटकों की असावधानी से हुई हलचल इसके लिए जिम्मेदार नहीं थी।

बोइंग पर 20 महीने के लिए लगा था बैन

बोइंग को 2018 और 2019 में अपने 737 मैक्स विमानों की दो घातक दुर्घटनाओं के कारण 20 अरब डॉलर से ज्यादा की कानूनी और अन्य लागतों का सामना करना पड़ा। सबसे ज्यादा बिकने वाले इस विमान को 20 महीनों के लिए उड़ान भरने से रोक दिया गया था।














atOptions = { 'key' : 'be473002375083a97a2bd6f0f4163600', 'format' : 'iframe', 'height' : 60, 'width' : 468, 'params' : {} };

 

उत्तराखंड के चमोली में बादल फटा, 7 लोग लापता:मसूरी में 2500 टूरिस्ट्स फंसे, हिमाचल में 419 मौतें; देश में अबतक 8% ज्यादा बारिश



उत्तराखंड में दो दिन में दूसरी बार बादल फटा है। 17 सितंबर की रात चमोली जिले के नंदानगर घाट में बादल फटा। यहां कुंटरी लंगाफली वार्ड में छह घर मलबे में दब गए। 7 लोग लापता हैं। 2 लोग रेस्क्यू किए गए।

इससे पहले 16 सितंबर को देहरादून में बादल फटा था। देहरादून से मसूरी का 35 किलोमीटर का रास्ता कई जगह क्षतिग्रस्त है। इसके कारण मसूरी में 2500 टूरिस्ट्स लगातार तीसरे दिन फंसे हुए हैं।

हिमाचल में इस सीजन बारिश, बाढ़, लैंडस्लाइड और अचानक आई बाढ़ से अब तक 419 लोगों की मौत हो चुकी है। मौसम विभाग ने दोनों ही राज्यों उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश को अगले 48 घंटे हाई अलर्ट पर रखा है।

देश में इस साल 24 मई को दक्षिण-पश्चिम मानसून केरल पहुंचा था। देश में अब तक (17 सितंबर) सामान्य से 8% ज्यादा बारिश हो चुकी है। 3 राज्यों राजस्थान (पश्चिम), पंजाब और हरियाणा से मानसून की विदाई शुरू भी हो चुकी है, लेकिन इसके जाते-जाते भी देश के 7 राज्यों में तेज बारिश की संभवना है।

मौसम विभाग और ग्लोबल फोरकास्ट सिस्टम (GFS) के मुताबिक, सितंबर के आखिरी कुछ दिन और अक्टूबर की शुरुआत तक एक बड़े कम दबाव के क्षेत्र के साथ जबरदस्त बारिश के आसार हैं।

25 या 26 सितंबर को बंगाल की खाड़ी में बड़ा मानसूनी सिस्टम लो प्रेशर एरिया बन रहा है। इससे पूर्वी-पश्चिमी मध्य प्रदेश के अलावा पश्चिम बंगाल, ओडिशा, झारखंड, छग, बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में 2-3 दिन तेज बारिश हो सकती है। कुछ इलाकों में 3 इंच तक पानी गिर सकता है।

चमोली के नंदानगर की 3 तस्वीरें...

बादल फटने के कारण नंदानगर घाट इलाके के 6 मकानों में मलबा और पानी भर गया।
बादल फटने के कारण नंदानगर घाट इलाके के 6 मकानों में मलबा और पानी भर गया।
नंदानगर घाट में बादल फटने के बाद रास्ता कट गया।
नंदानगर घाट में बादल फटने के बाद रास्ता कट गया।
घरों में कई फीट तक मलबा भरा है, यहां पर 7 लोग लापता हैं।
घरों में कई फीट तक मलबा भरा है, यहां पर 7 लोग लापता हैं।
नंदानगर में बादल फटने के बाद पूरे इलाके में मलबा जमा हो गया। घरों में भी मलबा भर गया।
नंदानगर में बादल फटने के बाद पूरे इलाके में मलबा जमा हो गया। घरों में भी मलबा भर गया।

मैप से जानें राज्यों में बारिश का हाल...

देश के मौसम का हाल जानने के लिए नीचे ब्लॉग से गुजर जाएं...

 हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले के निगुलसरी के पास 6 दिन पहले लैंडस्लाइड हुआ था। यहां रास्त ब्लॉक हो गया था। तब से उसे खोलने की कोशिश जारी है, मलबा हटाया जा रहा है। नेशनल हाईवे-5 अथॉरिटी की टीम रास्ता खोलने में जुटी है। वाहनों को धीरे-धीरे यहां निकाला जा रहा है।
उत्तरांखड: नन्दानगर की दो तस्वीरें, लापता की लिस्ट सामने आई


18 सितम्बर 2025
मध्य प्रदेश: राज्य में अब तक 7% ज्यादा बारिश

बुधवार, 17 सितंबर 2025

 शंकर बिगहा नरसंहारआधी-रात 34 दलितों का कत्ल, लाशें देख रो पड़े लालू:CM से महिलाएं बोलीं- मुआवजा नहीं, बंदूक दो; वाजपेयी ने राबड़ी सरकार बर्खास्त कर दी

इलेक्शन सीरीज 'नरसंहार' के छठे एपिसोड में आज शंकर बिगहा नरसंहार और राबड़ी सरकार बर्खास्त करने की कहानी...

बात 25 जनवरी 1999 की है। देश 50वां गणतंत्र दिवस मनाने की तैयारी कर रहा था। कुछ देर पहले ही राष्ट्रपति के आर नारायणन ने देश को संबोधित किया था। कहा था, 'दलितों पर अत्याचार बंद होना चाहिए।' पर हुआ कुछ और।

बिहार के अरवल जिले का शंकर बिगहा गांव। तब ये जहानाबाद जिले का हिस्सा था। करीब 110 घर होंगे इस गांव में, जिसमें 100 से ज्यादा दलित परिवार थे। न किसी के पास पक्का घर न ही खेती की जमीन। उन्हें तो मजदूरी के लिए यहां बसाया गया था।

ठिठुरती सर्दी वाली रात के साढ़े दस बज रहे थे। बंदूक और कुल्हाड़ी लिए करीब 100 लोग गांव में घुसे। शुरुआत में ही भैरों राजवंशी का घर था। वे पत्नी और बच्चों के साथ सो रहे थे। अचानक उन्हें शोर सुनाई पड़ा। वो सकपका गए। बिस्तर लपेटे भागते हुए पत्नी से बोले- ‘अरे बचवा सब को लेकर भागो। सेना वाले आ गए हैं।’

भैरों भाग गए, लेकिन उनकी पत्नी और बच्चे अंदर ही रह गए। हमलावर फायरिंग करते हुए घर में घुसे। पहली गोली भैरों की पत्नी के पैरों में लगी। वह गिर पड़ी। इसी बीच दूसरे ने भैरों के बच्चों को तखत से उठाकर पटक दिया। भैरों की पत्नी चीख उठी- ‘हमरा बचवा सब के छोड़ दो। ई लोग तुम्हारा का बिगाड़ा है।’

एक हमलावर उसके बाल पकड़कर घसीटते हुए बोला- ‘ह#$%@ तुम सब MCC वालों का सपोर्टर है न। आज गांव में कोई बचेगा नहीं। एक-एक आदमी को उड़ा देंगे।’

इलेक्शन सीरीज 'नरसंहार' के छठे एपिसोड में आज शंकर बिगहा नरसंहार और राबड़ी सरकार बर्खास्त करने की कहानी...

बात 25 जनवरी 1999 की है। देश 50वां गणतंत्र दिवस मनाने की तैयारी कर रहा था। कुछ देर पहले ही राष्ट्रपति के आर नारायणन ने देश को संबोधित किया था। कहा था, 'दलितों पर अत्याचार बंद होना चाहिए।' पर हुआ कुछ और।

बिहार के अरवल जिले का शंकर बिगहा गांव। तब ये जहानाबाद जिले का हिस्सा था। करीब 110 घर होंगे इस गांव में, जिसमें 100 से ज्यादा दलित परिवार थे। न किसी के पास पक्का घर न ही खेती की जमीन। उन्हें तो मजदूरी के लिए यहां बसाया गया था।

ठिठुरती सर्दी वाली रात के साढ़े दस बज रहे थे। बंदूक और कुल्हाड़ी लिए करीब 100 लोग गांव में घुसे। शुरुआत में ही भैरों राजवंशी का घर था। वे पत्नी और बच्चों के साथ सो रहे थे। अचानक उन्हें शोर सुनाई पड़ा। वो सकपका गए। बिस्तर लपेटे भागते हुए पत्नी से बोले- ‘अरे बचवा सब को लेकर भागो। सेना वाले आ गए हैं।’

भैरों भाग गए, लेकिन उनकी पत्नी और बच्चे अंदर ही रह गए। हमलावर फायरिंग करते हुए घर में घुसे। पहली गोली भैरों की पत्नी के पैरों में लगी। वह गिर पड़ी। इसी बीच दूसरे ने भैरों के बच्चों को तखत से उठाकर पटक दिया। भैरों की पत्नी चीख उठी- ‘हमरा बचवा सब के छोड़ दो। ई लोग तुम्हारा का बिगाड़ा है।’

एक हमलावर उसके बाल पकड़कर घसीटते हुए बोला- ‘ह#$%@ तुम सब MCC वालों का सपोर्टर है न। आज गांव में कोई बचेगा नहीं। एक-एक आदमी को उड़ा देंगे।’

हमलावर ने दोनों बच्चों को गोली मार दी। दोनों वहीं खत्म हो गए। महिला छाती पीट-पीटकर रोने लगी। गुस्से में हमलावर ने उसकी गर्दन पर तलवार मार दी। तभी चार-पांच और हमलावर अंदर घुस गए। वे कुछ देर तक इधर-उधर अंधाधुंध फायरिंग करते रहे। फिर वहां से चल दिए।

26 जनवरी 1999, शंकर बिगहा गांव में लाशें पड़ी हैं। परिवार वाले बिलख रहे हैं। सोर्स : लाइब्रेरी
26 जनवरी 1999, शंकर बिगहा गांव में लाशें पड़ी हैं। परिवार वाले बिलख रहे हैं। सोर्स : लाइब्रेरी

ZZZZ

एक बड़े से बरामदे में जागरण चल रहा था। 10-15 लोग नाच-गाना कर रहे थे। उन तक अभी गोलियों की गूंज नहीं पहुंची थी। 40-50 हमलावरों ने चारों तरफ से बरामदे को घेर लिया।

एक बोला- ‘केरोसिन डालकर सबको जला दें क्या?’

दूसरा बोला- ‘नहीं, सब जगा है भाग जाएगा। ई सब भी गोली बंदूक रखा होगा।’

अपनी धोती कमर में बांधते हुए हमलावर बोला- 'देखो अपने पास ज्यादा टाइम नहीं है। तेजी से बरामदे में जाओ और अटैक कर दो। भागने का मौका ही नहीं देना है।'

हमलावरों ने धावा बोल दिया। अंधाधुंध फायरिंग करते हुए बरामदे में घुस गए। कीर्तन कर रहे लोगों पर गोलियों की बौछार कर दी। कुछ ही मिनटों में 10 लाशें बिछ गईं। इक्का-दुक्का लोग जैसे-तैसे खेतों की तरफ भाग निकले।

यहां से हमलावर नारा लगाते हुए अलग-अलग घरों में घुसे। जो मिला उसे गोली मार दी। जो गोली लगने से नहीं मरा, उसे कुल्हाड़ी से काट दिया। गांव भर में चीख-पुकार मच गई थी। इसी बीच बगल के गांवों से गोलियों की आवाज आने लगी। हमलावरों का कमांडर सोच में पड़ गया कि दूसरे गांवों में फायरिंग कहां से होने लगी। कहीं MCC वाले तो नहीं आ गए।'

वह हड़बड़ाते हुए अपने साथियों से बोला- 'लगता है MCC वाले आ गए हैं। देखो उधर से भीड़ आ रही है। चलो भाग निकलें।' इसके बाद हमलावर हवा में फायरिंग करते हुए, नारा लगाते हुए गांव के पश्चिम से निकल गए।

भैरों राजवंशी भूसे के घर में छिपकर सबकुछ देख रहे थे। हमलावरों के जाते ही वे हांफते हुए घर पहुंचे। दरवाजे से ही पत्नी को आवाज लगाई। कोई जवाब नहीं मिला। डरे सहमे भैरों जैसे ही अंदर घुसे, उनके पैरों से कुछ टकराया। कांपते हुए भैरों ने टॉर्च जलाई। सामने पत्नी की लाश पड़ी थी। चारों तरफ खून फैला था।

वे आगे बढ़े, देखा खाट के नीचे बड़े बेटे की लाश पड़ी थी। भैरों को चक्कर आने लगा। खुद को संभाला और दूसरे कमरे में गए। वहां तीन लाशें थीं। उनके दो भाई और छोटे बेटे की। उनके परिवार के 5 लोग मारे गए थे। वे बदहवास चीखने लगे- 'मैं बर्बाद हो गया। उन लोगों ने सबको मार दिया। किसी को नहीं छोड़ा।'

26 जनवरी 1999, अपने भाई-बेटों को खोने का गम। सोर्स : लाइब्रेरी
26 जनवरी 1999, अपने भाई-बेटों को खोने का गम। सोर्स : लाइब्रेरी

अब तक रात के 12 बज चुके थे। गांव में हर तरफ रोने-बिलखने की आवाज गूंज रही थी। गलियों में लाशें पड़ी थीं। इसी बीच जहानाबाद थाने में फोन बजा- 'शंकर बिगहा गांव में नरसंहार हो गया है।'

रात करीब 2 बजे जहानाबाद के SP मनमोहन सिंह और ASP केके सिंह गांव पहुंचे। एसपी ने घर-घर जाकर देखा। कुल 23 लाशें मिलीं। इनमें 5 महिलाएं और 7 बच्चे थे। एक बच्चा तो महज 10 महीने का था। गोली लगने की वजह से उसकी आंतें बाहर आ गई थीं। हमलावरों ने उसके पेट में बंदूक की नोक सटाकर गोली मारी थी।

सीनियर जर्नलिस्ट रमाशंकर मिश्रा उस नरसंहार को याद करते हैं- 'मैं 26 जनवरी की सुबह गांव पहुंचा था। दिल दहला देने वाला मंजर था। कोई गोली से छलनी था, किसी के हाथ कटे थे, किसी की आंखें निकाल दी गई थीं। घर, बरामदे, गलियां सब खून से सन गई थीं।'

ये शंकर बिगहा नरसंहार था। हत्या का आरोप रणवीर सेना पर लगा। करीब 20 दिन पहले एक अखबार में रणवीर सेना प्रमुख ने दावा किया था कि अगले हमले की जगह तय हो गई है। और हुआ भी वहीं।

दरअसल, 1998 में अरवल जिले के चौरम में 10 सवर्णों की हत्या कर दी गई थी। हत्या का आरोप माओवादी संगठन एमसीसी पर लगा था। रणवीर सेना का मानना था कि शंकर बिगहा गांव के लोगों ने माओवादियों की मदद की थी। इसीलिए रणवीर सेना ने हमले के लिए इस गांव को चुना।

27 जनवरी 1999, शंकर बिगहा नरसंहार के विरोध में लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। बदला लेने की डिमांड कर रहे हैं। सोर्स : लाइब्रेरी
27 जनवरी 1999, शंकर बिगहा नरसंहार के विरोध में लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। बदला लेने की डिमांड कर रहे हैं। सोर्स : लाइब्रेरी

भीड़ ने लालू-राबड़ी को घेर लिया, महिलाएं बोलीं- हमें इनाम नहीं बंदूक चाहिए

27 जनवरी की सुबह मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और लालू यादव शंकर बिगहा गांव पहुंचे। भीड़ ने लालू-राबड़ी का खूब विरोध किया। महिलाएं गाली देने लगीं। लोग नारा लगा रहे थे- 'लालू राबड़ी मुर्दाबाद। सामाजिक न्याय धोखा है। रणवीर सेना को खत्म करो। राबड़ी सरकार इस्तीफा दो।'

लालू, भीड़ को समझाते हुए बोले- 'देखो हम सबको सजा दिलवाएंगे। जो लोग मारे गए हैं, उनके परिवार को एक-एक लाख रुपए दिया जाएगा। गांव के लोगों को घर बनाने के लिए 20-20 हजार रुपया देंगे। गांव में स्कूल और पंचायत भवन बनेगा।'

मुआवजे की बात सुनकर भीड़ और भड़क गई। बच्चे को गोद में लिए एक महिला राबड़ी के नजदीक पहुंच गई। चीखते हुए बोली- ‘हमें तुम्हारा गंदा पैसा नहीं चाहिए। हम तुम्हारे इनाम की @#$%^& कर देंगे। हमें बदला चाहिए बदला। हमें बंदूक दो, गोली दो, हथियार दो। तुम्हारे मीठे-मीठे भाषणों से कुछ नहीं होगा। बगल के लक्ष्मणपुर बाथे में हमारे 58 लोगों को मार दिया। क्या किया तुम्हारी सरकार ने। कुछ नहीं किया।’

जैसे-तैसे भीड़ से निकलते हुए लालू गांव में घुसे। लोगों से मिले। एक घर के बाहर पांच लाशें रखी थीं। घर की चौखट पर सिर पर हाथ रखे महिला बैठी थी। लालू को देखते ही वो गुस्से से लाल हो गई। उसने सामने पड़ी लाश के ऊपर से कपड़ा हटा दिया। खून से सने बच्चे की लाश। उसकी आंतें बाहर आ गई थीं। लाश देखकर लालू-राबड़ी इमोशनल हो गए।

महिला चिल्लाते हुए बोली- 'हमें इंसाफ दिलाना चाहते हो, तो बब्बन सिंह को हमारे सामने लाओ। उसे हमारे हवाले कर दो। हम हिसाब बराबर कर लेंगे। तब हम मानेंगे कि आप सरकार हो। आपकी खाकी वर्दी वाले रणवीर सेना वालों से मिले हुए हैं। वे उन्हीं का पक्ष लेते हैं। जब वो लोग गांव में मारकाट मचा रहा था, तब कोई नहीं आया। जब सब चला गया, तब पुलिस वाले आए।'

रुआंसे लालू ने कहा- ‘देखो आप जैसा चाहते हो वैसा एक्शन मैं नहीं ले सकता, लेकिन मैं भरोसा दिलाता हूं कि इनसे कायदे से निपटूंगा। केस की सुनवाई जल्दी होगी। 6 महीने के भीतर ट्रायल पूरा हो जाएगा। सबको सजा मिलेगी चिंता मत करो। जो लोग हत्यारे हैं, वे लोग ही इस्तीफा मांग रहे हैं। तुम लोग वैसा मत करो।’

28 जनवरी 1999 का अखबार, जिसमें लिखा है कि भीड़ ने लालू-राबड़ी का विरोध किया। अपशब्द कहे। मुआवजे की जगह हथियार की मांग की। सोर्स : HT
28 जनवरी 1999 का अखबार, जिसमें लिखा है कि भीड़ ने लालू-राबड़ी का विरोध किया। अपशब्द कहे। मुआवजे की जगह हथियार की मांग की। सोर्स : HT

शाम तक लालू और राबड़ी पटना लौट आए। इधर, विपक्ष राबड़ी के इस्तीफे पर अड़ा था। नीतीश कुमार और रामविलास पासवान सरकार को बर्खास्त करने की मांग कर रहे थे। इतना ही नहीं, राबड़ी सरकार में शामिल कांग्रेस के कई नेता भी सीएम का इस्तीफा मांग रहे थे।

इस पर लालू भड़क गए। उन्होंने कहा- 'राबड़ी इस्तीफा नहीं देंगी। 26 जनवरी से पहले सरकार को बदनाम करने की साजिश रची गई थी। रणवीर सेना बजरंग दल का एक्सटेंशन है। कांग्रेस कहती है कि हमने जमींदारी प्रथा खत्म कर दी है। सच में ऐसा हुआ होता तो ये नरसंहार नहीं होता।'

27 जनवरी को कांग्रेस ने पूर्व लोकसभा स्पीकर शिवराज पाटिल और मीरा कुमार को शंकर बिगहा भेजा। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का कहना था कि फिलहाल हम सरकार को सपोर्ट कर रहे हैं। नेताओं की फाइंडिंग्स के बाद तय करेंगे कि क्या करना है।

मुख्यमंत्री राबड़ी बोलीं- लोग कहे रहे हैं कि 'बाभना सब मारा है'

28 जनवरी को बिहार के डीजीपी केए जैकब ने ऐलान किया- 'जो रणवीर सेना प्रमुख ब्रह्मेश्वर मुखिया का पता बताएगा, उसे पांच लाख रुपए इनाम दिया जाएगा।'

इसी दिन राबड़ी ने कहा- '6 आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए हैं। बाकी भी जल्द पकड़े जाएंगे। मैं नरसंहार वाले गांव गई थी। लोग कह रहे थे- ‘बाभना सब मारा है।' तब के अखबारों में राबड़ी का ये बयान छपा था।

29 जनवरी को बिहार के राज्यपाल सुंदर सिंह भंडारी ने गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी से मुलाकात की। मीडिया में खबरें आने लगीं कि केंद्र बिहार में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश कर सकता है।

राबड़ी सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा था। 1 फरवरी को बीजेपी नेता सुशील मोदी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा- 'लालू और रणवीर सेना के बीच साठगांठ है। राजद के कई लोग रणवीर सेना से मिले हुए हैं। लालू ने कई बार रणवीर सेना प्रमुख को छुड़वाया है। 6 महीना पहले ही शास्त्री नगर की पुलिस ने मुखिया को गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन लालू ने खुद दखल देकर छुड़वा दिया।'

10 फरवरी 1999, शंकर बिगहा नरसंहार के 15 दिन बाद। पास के ही एक गांव नारायणपुर में रात 9 बजे हमलावरों ने धावा बोल दिया। 11 दलितों की हत्या हो गई। 6 महिलाएं और 5 पुरुष मारे गए। पर्चे बांटकर रणवीर सेना ने इसकी जिम्मेदारी भी ले ली।

अगले दिन लालू-राबड़ी गांव पहुंच गए। उन्होंने तीन लोगों को नौकरी और हर मृतक के परिवार को 1.20 लाख रुपए देने की घोषणा की। साथ ही इस नरसंहार से प्रभावित लोगों को इंदिरा आवास योजना के तहत घर बनाने के लिए 20 हजार रुपए देने का वादा किया।

11 फरवरी 1999, नारायणपुर नरसंहार में मारे गए लोगों की लाश रखी है। परिवार वाले बिलख रहे हैं। सोर्स : लाइब्रेरी
11 फरवरी 1999, नारायणपुर नरसंहार में मारे गए लोगों की लाश रखी है। परिवार वाले बिलख रहे हैं। सोर्स : लाइब्रेरी

दिल्ली में हाईलेवल मीटिंग, विदेश में थे पीएम, रात में बिहार सरकार बर्खास्त करने का ऐलान

12 फरवरी की सुबह केंद्र सरकार ने रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस, केंद्रीय मंत्री नीतीश कुमार और केंद्रीय मंत्री सत्य नारायण जटिया के नेतृत्व में एक टीम जहानाबाद भेजी। ये तीनों मंत्री एयरफोर्स के स्पेशल विमान से पहले पटना पहुंचे, फिर नारायणपुर।

इसी दिन दिल्ली में गृहमंत्री ने हाईलेवल मीटिंग की। बैठक में बिहार सरकार को हटाकर राष्ट्रपति शासन लगाने पर सहमति बन गई, लेकिन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी एक समिट के लिए जमैका गए थे। कैबिनेट ने प्रस्ताव जमैका भेज दिया। कुछ देर बाद प्रधानमंत्री ने उस पर मुहर लगा दी।

दोपहर बाद एक खास मैसेंजर के जरिए प्रस्ताव को कोलकाता भेजा गया। तब राष्ट्रपति के.आर नारायणन वहीं थे। रात 9 बजे उन्होंने केंद्र की सिफारिश पर मुहर लगा दी। रात 9.15 बजे केंद्रीय मंत्री प्रमोद महाजन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बिहार में राष्ट्रपति शासन लगाने का ऐलान किया।

केंद्र के इस फैसले पर लालू भड़क गए। उन्होंने कहा- 'सरकार ने डेमोक्रेसी की हत्या कर दी है। सड़कों पर बवाल कर दो। तानाशाहों के पैर तोड़ दो। कल से मैं जनता की अदालत में जाऊंगा। और मैं यह नहीं कह सकता कि कल को क्या होगा।'

अगले ही दिन लालू यादव और राबड़ी देवी समर्थकों के साथ पटना की सड़कों पर उतर गए। कुछ देर के लिए पुलिस ने उन्हें हिरासत में भी लिया। कई जगह हिंसक प्रदर्शनों में एक दर्जन लोगों की जान जा चुकी थी। एक प्रदर्शन के दौरान लालू ने कहा - 'गोली का जवाब हम हिंसा से देंगे।'

राष्ट्रपति शासन लगने के दो घंटे के भीतर राज्यपाल ने मुख्य सचिव और डीजीपी को हटा दिया। विजय शंकर दुबे को मुख्य सचिव बनाया गया और टीपी सिन्हा को डीजीपी। सिन्हा ने रात में ही कमान संभाल ली। राज्यपाल के इस फैसले पर सवाल उठे क्योंकि सिन्हा और दुबे दोनों सवर्ण थे।

12 फरवरी 1999, रात करीब 9.30 बजे। राष्ट्रपति शासन लगने के बाद फोन पर बात करते हुए पूर्व सीएम लालू यादव। सोर्स : लाइब्रेरी
12 फरवरी 1999, रात करीब 9.30 बजे। राष्ट्रपति शासन लगने के बाद फोन पर बात करते हुए पूर्व सीएम लालू यादव। सोर्स : लाइब्रेरी

नरसंहार में मारे गए लोगों से मिलने पहुंचीं सोनिया गांधी ने बेलछी की यादें ताजा कर दीं

13 फरवरी 1999, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी नारायणपुर पहुंच गईं। वो गांव में घूमीं। मृतकों के घर गईं। सोनिया के दौरे को 1977 के इंदिरा के बेलछी दौर से जोड़कर देखा गया। इमरजेंसी के बाद हुए चुनावों में मिली हार के बाद इंदिरा बेलछी नरसंहार में मारे गए लोगों से मिलने पहुंची थीं। उसके बाद केंद्र और बिहार दोनों जगह कांग्रेस ने वापसी की थी।

ZZZZ

सोनिया के लिए भी इंदिरा जैसे ही हालात थे। 1996 के चुनाव में कांग्रेस को सेटबैक लगा था। राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्य कांग्रेस गंवा चुकी थी। कांग्रेस शंकर बिगहा और नारायणपुर नरसंहार के जरिए फिर से दलितों को साधने की कवायद में जुटी थी।

प्रदेश कांग्रेस के नेता लगातार कह रहे थे कि हमें राष्ट्रपति शासन का समर्थन करना चाहिए। तब के अखबारों ने लिखा- 'सोनिया दुविधा में हैं। अगर वे राजद का विरोध करती हैं, तो मुस्लिम वोट बैंक छिटक जाएंगे और अगर समर्थन करती हैं, तो दलित नाराज हो जाएंगे।'

हुआ भी वहीं। सोनिया ने राष्ट्रपति शासन के बारे में कुछ नहीं कहा। उन्होंने मृतकों को 10-10 हजार रुपए देने की घोषणा की और फिर पटना होते हुए दिल्ली लौट गईं।

13 फरवरी 1999, सोनिया गांधी नारायणपुर नरसंहार में मारे गए लोगों के घर गई थीं। सोर्स : लाइब्रेरी
13 फरवरी 1999, सोनिया गांधी नारायणपुर नरसंहार में मारे गए लोगों के घर गई थीं। सोर्स : लाइब्रेरी

गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी और राज्यपाल में ठन गई, माफी की मांग पर अड़ गए भंडारी

सोनिया के बिहार दौरे के बाद केंद्र सरकार भांप गई थी कि कांग्रेस राष्ट्रपति शासन का समर्थन नहीं करेगी। 16 फरवरी को गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने कहा- 'बिहार के राज्यपाल सुंदर सिंह भंडारी को हटाकर एक गैर राजनीतिक आदमी को राज्यपाल बनाया जाएगा।'

इस पर राज्यपाल भंडारी खफा हो गए। अगले ही दिन वो ट्रेन से दिल्ली के लिए निकल गए। कहा गया कि नाराजगी की वजह से राज्यपाल ने फ्लाइट नहीं ली। 18 फरवरी को वे पीएम अटल बिहारी वाजपेयी से मिले। आधे घंटे तक दोनों के बीच बातचीत हुई।

तब के अखबारों में छपी खबरों के मुताबिक पीएम ने राज्यपाल से कहा कि बातचीत करके मामला सुलझा लो। पर भंडारी, आडवाणी की माफी पर अड़े रहे। तीन दिन दिल्ली में रहने के बाद 21 फरवरी को वे पटना लौट आए।

इसी बीच लालू ने दिल्ली में सोनिया गांधी से मुलाकात की। सीनियर जर्नलिस्ट संकर्षण ठाकुर अपनी किताब बंधु बिहारी में लिखते हैं- 'सांप्रदायिक ताकतें बढ़ रही हैं। यह आरएसएस की साजिश है। मैडम अगर कांग्रेस इसे नहीं रोकेगी तो कौन रोकेगा। कांग्रेस को उन लोगों से लड़ना पड़ेगा।' 22 फरवरी को कांग्रेस ने साफ कर दिया कि वो सदन में प्रेसिडेंट रूल के खिलाफ वोट करेगी।

'द अनटोल्ड वाजपेयी' के मुताबिक वाजपेयी राष्ट्रपति शासन लगाने को लेकर बहुत खुश नहीं थे, लेकिन समता पार्टी के नेता नीतीश कुमार चाहते थे कि राज्य सरकार को बर्खास्त कर दिया जाए। 6 महीना पहले भी सितंबर 1998 में सुंदर भंडारी ने राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की थी, लेकिन राष्ट्रपति ने खारिज कर दिया था। तब वाजपेयी ने अपने एक सहयोगी से कहा था- 'समता पार्टी के दबाव में झुकने की कीमत चुकानी पड़ेगी।'

7 मार्च को वाजपेयी, सोनिया गांधी से मिले थे, लेकिन राष्ट्रपति शासन पर समर्थन के लिए राजी नहीं कर पाए। आखिरकार 8 मार्च को केंद्र सरकार ने राष्ट्रपति शासन वापस लेने का ऐलान कर दिया। 9 मार्च को राबड़ी देवी फिर से सीएम बनीं, लेकिन इसके 9 दिन बाद ही एक और बड़ा नरसंहार हो गया। उस नरसंहार की कहानी अगले एपिसोड में।

इधर, 15 मार्च को केंद्र सरकार ने राज्यपाल सुंदर भंडारी को हटा दिया। पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बीएम लाल को राज्यपाल का पदभार दिया गया।

9 मार्च 1999, राजभवन में दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण करती हुईं राबड़ी देवी। सोर्स : लाइब्रेरी
9 मार्च 1999, राजभवन में दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण करती हुईं राबड़ी देवी। सोर्स : लाइब्रेरी

दो नरसंहारों में 34 की हत्या, 49 आरोपी, सजा 0, कोर्ट में मुकर गए गवाह

शंकर बिगहा नरसंहार मामले में 24 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई थी। जुलाई 2014 से नवंबर 2014 तक जहानाबाद सेशन कोर्ट में ट्रायल चला। इस दौरान सभी 50 गवाह अपने बयान से मुकर गए। आरोपियों को पहचानने से इनकार कर दिया। मुख्य गवाह भैरों राजवंशी ने कहा- ‘मैं नरसंहार के दिन तो शंकर बिगहा में था ही नहीं। पुलिस ने जबरन मेरा अंगूठा लगवा लिया। पुलिस ने खुद से बयान लिख दिया और पढ़कर सुनाया भी नहीं।’

एक और गवाह रामप्रसाद पासवान ने कहा- 'गोली लगने के बाद मैं गिर गया था तो किसी को पहचानता कैसे? पुलिस ने झूठा बयान लिखा है।'

13 जनवरी 2015 को जहानाबाद सेशन कोर्ट ने सबूतों के अभाव में सभी 24 आरोपियों को बरी कर दिया। दलितों को इस फैसले से इसलिए भी ज्यादा धक्का लगा कि तब राज्य में एक दलित ही मुख्यमंत्री थे। जीतन राम मांझी।

आखिर गवाह अपने बयान से क्यों मुकर गए...

बाद में भैरों राजवंशी ने एक पत्रकार से इसकी वजह बताई। उन्होंने कहा- 'नरसंहार के लिए बनी अमीर दास कमीशन की इन्क्वायरी के दौरान पुलिस ने हमें सुरक्षा दी थी। पुलिस के लोग साथ पटना लेकर गए थे, लेकिन जहानाबाद में ट्रायल के दौरान हमें सुरक्षा नहीं मिली। हमें पता है कि कुछ भी बोलेंगे तो मारे जाएंगे। हम लोग तो उन्हीं के खेतों में काम करते हैं। रोटी मिलनी भी बंद हो जाएगी।'

दरअसल, ट्रायल के आखिरी दिनों यानी 14 नवंबर 2014 को कोर्ट ने अरवल जिले के डीएम को चिट्ठी लिखकर गवाहों को सुरक्षा देने को कहा था। तब तक ज्यादातर गवाह अपने बयान से मुकर चुके थे। डीएम ने दो महीने बाद 9 जनवरी 2015 को गवाहों की सुरक्षा के लिए SP को चिट्ठी लिखी, लेकिन चार दिन बाद ही कोर्ट ने फैसला सुना दिया।

शंकर बिगहा की तरह नारायणपुर नरसंहार में भी सभी 25 आरोपी सबूतों के अभाव में बरी कर दिए गए।

इस तरह शंकर बिगहा और नारायणपुर दोनों नरसंहारों में कुल 34 दलितों का कत्ल हुआ। दोनों मामलों को मिलाकर 49 लोग आरोपी बनाए गए, लेकिन सजा किसी को नहीं मिली। लेफ्ट पार्टियों ने कहा था कि वे इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। लेकिन 11 साल बाद भी सुप्रीम कोर्ट में इसकी सुनवाई नहीं हो सकी है।

बिहार सरकार ने रणवीर सेना प्रमुख ब्रह्मेश्वर मुखिया के सिर पर 5 लाख रुपए का इनाम रखा था। सोर्स : HT
बिहार सरकार ने रणवीर सेना प्रमुख ब्रह्मेश्वर मुखिया के सिर पर 5 लाख रुपए का इनाम रखा था। सोर्स : HT

लगातार नरसंहारों के चलते बिहार में राजद की सरकार कमजोर होती गई। 1995 में 167 सीटें जीतने वाली लालू की पार्टी साल 2000 में 124 पर आ गई। जबकि बीजेपी ने 67 सीटें जीत लीं। यानी पिछले चुनाव के मुकाबले 26 सीटें ज्यादा। उसके बाद एनडीए का दबदबा बढ़ता गया।

आखिरकार अक्टूबर-नवंबर 2005 में बिहार में एनडीए की सरकार बन गई। लगभग 40 सालों तक बिहार में राज करने वाली कांग्रेस खत्म सी हो गई। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि राजद का साथ देने की वजह कांग्रेस ने बिहार में अपना बड़ा बेस गंवा दिया। सवर्ण बीजेपी की तरफ शिफ्ट हो गए और पिछड़े-अति पिछड़ों को लालू और नीतीश ने साध लिया।